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सारनाथ बौद्ध धर्म का एक अनूठा संगम

सारनाथ बौद्ध धर्म का एक अनूठा संगम

उत्तर प्रदेश हिंदू धर्म के साथ बौद्ध धर्म के लिए बेहद खास है। इसी राज्य में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया और यहीं पर निर्वाण की भी प्राप्ति हुई। यूपी के इन स्थलों पर हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु घूमने आते हैं।
इन्हीं में से एक वाराणसी का सारनाथ है। ये स्थान टूरिस्ट स्पॉट और तीर्थ स्थल दोनों के लिए बेहद खास है। वाराणसी कैंट से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर सारनाथ में कई बौद्ध से जुड़े स्थल हैं। जहां पर्यटकों घूमने आते हैं। गौतम बुद्ध की धर्म स्थली सारनाथ के महत्वपूर्ण स्पॉट में से एक धमेक स्तूप है। इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि यहीं वह स्थान है जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। अगर स्तूप की डिजाइन की बात करें तो मिट्टी और ईंटों से बना ये स्तूप 43.6 मीटर ऊंचा और 28 मीटर चौड़ा है। इसका निचला हिस्से पर पुष्पों की नक्काशी हुई है। दीवारों पर मनुष्य और पक्षियों के चित्र बने है। इसके अलावा यहां ब्रह्मी लिपि में लिखे शिलालेख हैं। अगर अन्य स्तूपों की बात करें तो सारनाथ में चौखंडी स्तूप भी है। इसका निर्माण गु्प्त काल में हुआ। अष्टकोणीय मीनार से घिरे इस भवन को लेकर ऐसा कहा जाता है कि भगवान बुद्ध अपने पंचवर्गीय भिक्षुओं से इसी स्थान पर मिले थे। सारनाथ में म्यूजियम भी स्थित है। जो गंगा और वरुण नदी के संगम के पास स्थित है। इस म्यूजियम के रख रखाव का जिम्मा एएसआई के पास है। यहां पुराने समय के कई ऐतिहासिक वस्तुएं देखने को मिल जाते हैं। इसके अलावा अगर सारनाथ के अन्य टूरिस्ट स्पॉट की बात करें तो थाई मंदिर है।इस मंदिर का निर्माण थाई समुदाय के लोगों ने करवाया था। मंदिर की वास्तुकलाबेहद ही खूबसूरत है।

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