लखनऊ मलिहाबाद के मोहम्मदनगर में जमीन विवाद में हिस्ट्रीशीटर लल्लन खान और उसके बेटे फराज खान ने अपने साथी फुरकान व ड्राइवर अशरफी के साथ मिलकर अपने रिश्तेदार फरहीन, उसके बेटे हंजला और चचेरे भाई मुनीर उर्फ ताज की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वारदात को अंजाम देने के बाद एसयूवी और लाइसेंसी राइफल छोड़कर भाग निकले थे। शनिवार सुबह उनकी लोकेशन मुरादाबाद में मिली थी। सूत्रों के मुताबिक मुरादाबाद के आसपास के इलाके से ही दोनों को दबोचा गया। डीसीपी पश्चिम राहुल राज ने बताया कि आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। जमीन विवाद में तिहरे हत्याकांड के मामले में पैमाइश कराने पहुंचे लेखपाल के अलावा एक अन्य लेखपाल की बड़ी भूमिका रही है। वह लेखपाल मसूद का करीबी है। उसी ने सांठगांठ कर मीठेनगर के लेखपाल को पैमाइश के लिए भेजा। चूंकि पूरे मामले में खेल किया जा रहा था इसलिए न पुलिस को सूचना दी गई और न ही प्रशासन के अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को। इस खेल और लापरवाही की वजह से ही इतनी बड़ी वारदात हो गई।
तैयब के भाई मसूद मलिहाबाद में ही रहते हैं। मसूद की तमाम जमीन मलिहाबाद में है। वहां का एक लेखपाल उनका करीबी है। सूत्रों के मुताबिक पैमाइश कराने के लिए उसी लेखपाल ने मीठेनगर के लेखपाल रघुवीर सिंह यादव से बातचीत कराई थी। इस पर रघुवीर पैमाइश के लिए तैयार हो गया था। विवादित मामला होने के बावजूद पुलिस व प्रशासन के अफसरों को सूचना न देने के पीछे की वजह यही है कि लेखपाल सांठगांठ की वजह से पैमाइश करने पहुंचा था। अगर वह पैमाइश करने न जाता तो न ही दोनों पक्ष एकसाथ जुटते और न विवाद होने पर तीन लोगों की हत्या होती। फिलहाल प्रशासन की तरफ से अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिम्मेदारों को बचाने की कोशिश जारी है। जब पैमाइश की कार्रवाई की जाती है तो पुलिस बल के लिए संबंधित थाने को लिखित सूचना देनी होती है। इसके साथ ही राजस्व निरीक्षक और नायब तहसीलदार की भी मौजूदगी रहती है। मगर मामले में राजस्व निरीक्षक व नायब तहसीलदार को कोई जानकारी नहीं थी। इससे भी लेखपाल की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वारदात के बाद पुलिस अफसरों का स्पष्ट कहना था कि पैमाइश के दौरान विवाद हुआ और फिर वारदात को अंजाम दिया गया। मगर प्रशासन का दावा इससे पूरी तरह से इतर है। प्रशासन का दावा है कि वारदात पारिवारिक विवाद में की गई। जमीन विवाद में घटना नहीं हुई। जबकि जो रंजिश थी वह जमीन विवाद की वजह से ही थी। एक तरह से प्रशासन पल्ला झाड़कर अपने जिम्मेदारों खासकर लेखपाल को बचाने की कवायद में जुटा है।
करीब पौने तीन बीघा जमीन को लेकर तीन लोगों की हत्या कर दी गई। ये जमीन लंदन में रह रहे तैयब ने करीब दो दशक पहले लल्लन खान के परिजनों से खरीदी थी। लेकिन जमीन पर कब्जा लल्लन का ही था। इसलिए मामला प्रशासन व न्यायालय तक पहुंचा। तभी से दोनों पक्षों में रंजिश चल रही थी। चूंकि तैयब लंदन में हैं और उन्होंने जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी अपने भाई मसूद को कर रखी है, इसलिए पूरी कार्रवाई उनकी तरफ से की जा रही है। लल्लन का मानना था कि तैयब के पक्ष वालों को फरीद भड़काते हैं। इसलिए उसने उनके परिवार को निशाना बनाया।
सूत्रों के मुताबिक मीठेनगर की 20 बीघा जमीन में फरीद, उनके परिजन व लल्लन हिस्सेदार थे। दो दशक पहले लल्लन के परिजनों ने करीब पौने तीन बीघा जमीन तैयब को बेच दी थी। तभी से विवाद शुरू हुआ था। लल्लन जमीन पर कब्जा किए था। वह कब्जा खाली करने के बजाय जमीन पर अपना ही दावा करता था। मामला जब कोर्ट कचहरी तक पहुंचा तो इसमें फरीद को भी पार्टी बनाया गया। क्योंकि वह काश्तकार थे। जमीन की चौहद्दी भी उनकी थी। बाद में लल्लन केस हारा और तैयब के पक्ष में फैसला हुआ।
लल्लन की तरफ से फिर अपील की गई और दावा किया गया कि उसका पक्ष सुने बगैर निर्णय लिया गया है। ये अपील भी खारिज कर दी गई। लगातार इस जमीन को लेकर विवाद होता रहा। तैयब की तरफ से उसके भाई मसूद व उनका बेटा सलमान आदि पैरवी करते रहे। जब कोई विवाद हुआ तो लल्लन उसका सूत्रधार फरीद को ही मानता था। इस बार जब मसूद की तरफ से जमीन पैमाइश संबंधी कार्रवाई की गई तो भी लल्लन का कहना था कि इसके पीछे फरीद है। फरीद मौके पर भी पहुंचे थे। इसलिए दशकों से चल रही रंजिश में इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया। लल्लन हमेशा कहता था कि वह जमीन उसकी है। किसी की हिम्मत नहीं कि वह इस जमीन को उससे ले पाए। जानकारी के मुताबिक पहले भी इस मसले को लेकर आपस में कहासुनी और विवाद हुए। करीब एक दशक से दोनों परिवारों के बीच बातचीत तक बंद थी। कई बार आरोपियों ने धमकी दी थी कि अगर जमीन का विवाद खत्म नहीं किया तो अंजाम बुरा होगा। आखिर में उसने धमकी को सच कर डाला।
पैमाइश के वक्त खेत में ही फरीद और मुनीर भी मौजूद थे। अशरफी (लल्लन का ड्राइवर) के जरिये लल्लन खान को मौके पर बुलाया गया था। इसी दौरान दोनों पक्षों में विवाद हुआ तो फरीद और मुनीर घर लौट गए थे। तब लल्लन, उसका बेटा व अन्य आरोपियों ने उनके घर पर धावा बोलकर गोलियां बरसाकर तीन लोगों की हत्या कर दी थी। पुलिस की जांच में ये अहम तथ्य सामने आए हैं। वहीं गिरफ्तार किये जा चुके अशरफी ने भी इसकी पुष्टि की है।
दरअसल वारदात के बाद फरीद का कहना था कि पैमाइश को लेकर उन्हें समन मिला था। जब वह मौके पर जा रहे थे तो पता चला कि पैमाइश खत्म हो चुकी है, इसलिए वह आधे रास्ते से लौट गए थे। पुलिस ने जब तफ्तीश की और आरोपी अशरफी से पूछताछ की तो पता चला कि पैमाइश के लिए फरीद, मुनीर, सलमान व अन्य लोग मौजूद थे। फरीद व उनके पक्ष के लोगों ने अशरफी के जरिये लल्लन को वहां पर बुलाया। वह अपने बेटे फराज व साथी फुरकान के साथ पहुंचा था। उसके पहुंचते ही दोनों पक्षों में विवाद शुरू हो गया था। तब फरीद व मुनीर घर लौट गए थे।
डीसीपी पश्चिम राहुल राज ने बताया कि पहली बार खेत में दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। वहां हुए विवाद की वजह से आरोपी खुन्नस में फरीद के घर पहुंचे। यहां भी पहले चंद सेकेंड दोनों के बीच कहासुनी व नोकझोंक होती रही। फिर पिता-पुत्र ने राइफल निकालकर गोलियां दागी थीं। सीसीटीवी फुटेज से भी नोकझोंक होने की पुष्टि हुई है। पहले पीड़ित पक्ष का दावा था कि आरोपियों ने आते ही गोलियां बरसाईं, जबकि कोई विवाद नहीं हुआ था। डीसीपी के मुताबिक फरीद के पास भी लाइसेंसी शस्त्र है। जब विवाद बढ़ने लगा तो वह असलहा लेने भीतर गए थे। इधर लल्लन और फराज ने फरहीन से हाथापाई शुरू कर दी। ये देख फरहीन के बेटे हंजला ने विरोध किया। तभी हंजला पर पहली गोली दाग दी थी। जब फरीद बाहर आए, तब तक आरोपी मुनीर व फरहीन को भी गोली मारकर भाग चुके थे।